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आमदनी मैया - लेखनी कविता -08-Mar-2022

जय जय जय हो आमदनी मैया
आकर देती हो सुकून की छैया।
मोटे-तगड़े रूप में बड़ा लुभाती
दुनिया खुश हो जब दर्शन पाती।

एक बात बताओ आमदनी रानी
खाने-पीने में करती हो मनमानी।
सदा एक-समान रह ना पाती हो
कुछ ही पलों में पतली हो जाती।

दुनिया करती है महीने भर मिन्नत
तब आप आकर देती  उसे जन्नत।
आपके जाने से जीवन होता बेरंग
बिन आमदनी जीवन के उड़ते रंग।

अब तो पार्टियाँ बनी दुश्मन जानी
कृपा करो तुम आमदनी महारानी।
हाथों से फ़िसले जैसे बर्फ से पानी
कुछ पल ठहरो तो होगी मेहरबानी।

लगे महँगाई बनी आपकी देवरानी
नजर लगाती बन आँख की कानी
खुद तो मोटी-ताजी है होती जाती
चूसकर खून आपका पीती जाती।

आमदनी तुम टस से मस ना होती
पर महँगाई तो सुरसा-सी है बढ़ती
पति-पत्नी के बीच में दरार बनती 
शॉपिंग ना होने पर बीवी से ठनती।

ख्वाहिशों को मारना बना मजबूरी
आमदनी ने बना दी  रिश्तों में दूरी
खर्चों से मैया तालमेल बैठाऊँ कैसे
सबके सपनों का खर्च उठाऊँ कैसे।

आमदनी बँधी-बँधाई खर्चे बेशुमार
गरीब पर पडती है महंगाई की मार
मुश्किल हो गया जिंदगी को ढोना
मजबूरी सिखाएहँसते-हँसते रोना।


आमदनी अठन्नी है खर्चा रुपैया
खेई न जाए यूँ ज़िन्दगी की नैया
महारानी दे दो अब अपनी छैया 
जय जय जय हो आमदनी मैया।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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13 Comments

Ayaansh Goyal

09-Mar-2022 10:01 PM

Sunder kavita

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Zakirhusain Abbas Chougule

09-Mar-2022 12:28 AM

वाह बहुत खूब

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Dr. Arpita Agrawal

09-Mar-2022 12:38 AM

हार्दिक आभार आदरणीय ज़ाकिर जी

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Swati chourasia

08-Mar-2022 08:12 PM

Very beautiful 👌👌

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Dr. Arpita Agrawal

08-Mar-2022 10:32 PM

Thanks a lot Swati ji

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